04-09-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - संगम पर
तुम्हें प्यार का सागर बाप प्यार का ही वर्सा देते हैं, इसलिए तुम सबको प्यार दो,
गुस्सा मत करो''
प्रश्नः-
अपने रजिस्टर
को ठीक रखने के लिए बाप ने तुम्हें कौन सा रास्ता बताया है?
उत्तर:-
प्यार का ही
रास्ता बाप तुम्हें बतलाते हैं, श्रीमत देते हैं बच्चे हर एक के साथ प्यार से चलो।
किसी को भी दु:ख नहीं दो। कर्मेन्द्रियों से कभी भी कोई उल्टा कर्म नहीं करो। सदा
यही जाँच करो कि मेरे में कोई आसुरी गुण तो नहीं हैं? मूडी तो नहीं हूँ? कोई बात
में बिगड़ता तो नहीं हूँ?
गीत:-
यह वक्त जा रहा
है........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अपनी चाल-चलन देवताओं जैसी बनानी है। कोई भी ईविल बोल मुख से नहीं
बोलने हैं। यह आंखें कभी क्रिमिनल न हों।
2) क्रोध का भूत बहुत नुकसान करता है। ताली दो हाथ से बजती है इसलिए कोई क्रोध
करे तो किनारा कर लेना है, उन्हें प्यार से समझाना है।
वरदान:-
त्याग, तपस्या
और सेवा भाव की विधि द्वारा सदा सफलता स्वरूप भव
त्याग और तपस्या ही सफलता
का आधार है। त्याग की भावना वाले ही सच्चे सेवाधारी बन सकते हैं। त्याग से ही स्वयं
का और दूसरों का भाग्य बनता है और दृढ़ संकल्प करना - यही तपस्या है। तो त्याग,
तपस्या और सेवा भाव से अनेक हद के भाव समाप्त हो जाते हैं। संगठन शक्तिशाली बनता
है। एक ने कहा दूसरे ने किया, कभी भी तू मैं, मेरा तेरा न आये तो सफलता स्वरूप,
निर्विघ्न बन जायेंगे।
स्लोगन:-
संकल्प
द्वारा भी किसी को दु:ख न देना - यही सम्पूर्ण अहिंसा है।
अव्यक्त इशारे -
अब लगन की अग्नि को प्रज्वलित कर योग को ज्वाला रूप बनाओ
योग को ज्वाला रूप
बनाने के लिए सेकण्ड में बिन्दी स्वरूप बन मन-बुद्धि को एकाग्र करने का अभ्यास
बार-बार करो। स्टॉप कहा और सेकण्ड में व्यर्थ देह-भान से मन-बुद्धि एकाग्र हो जाए।
ऐसी कन्ट्रोंलिंग पावर सारे दिन में यूज़ करो। पावरफुल ब्रेक द्वारा मन-बुद्धि को
कन्ट्रोल करो, जहाँ मन-बुद्धि को लगाना चाहो वहाँ सेकण्ड में लग जाए।