05-09-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम्हारी
प्रतिज्ञा है कि जब तक हम पावन नहीं बने हैं, तब तक बाप को याद करते रहेंगे, एक बाप
को ही प्यार करेंगे''
प्रश्नः-
सयाने बच्चे
समय को देखते हुए कौन-सा पुरुषार्थ करेंगे?
उत्तर:-
अन्त में जब
शरीर छूटे तो बस एक बाबा की ही याद रहे और कुछ भी याद न आये। ऐसा पुरुषार्थ सयाने
बच्चे अभी से करते रहेंगे क्योंकि कर्मातीत बनकर जाना है इसके लिए इस पुरानी खाल से
ममत्व निकालते जाओ, बस हम जा रहे हैं बाबा के पास।
गीत:-
न वह हमसे जुदा
होंगे........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सदा याद रहे सर्वशक्तिमान् बाप हमारे साथ है, इस स्मृति से शक्ति
प्रवेश करेगी, विकर्म भस्म होंगे। शिवशक्ति पाण्डव सेना नाम है, तो बहादुरी दिखानी
है, डरपोक नहीं बनना है।
2) जीते जी मरने के बाद यह अहंकार न आये कि मैं तो सरेन्डर हूँ। सरेन्डर हो
पुण्य आत्मा बन औरों को बनाना है, इसमें ही फायदा है।
वरदान:-
निर्विघ्न
स्थिति द्वारा स्वयं के फाउन्डेशन को मजबूत बनाने वाले पास विद आनर भव
जो बच्चे बहुतकाल से
निर्विघ्न स्थिति के अनुभवी हैं उनका फाउन्डेशन पक्का होने के कारण स्वयं भी
शक्तिशाली रहते हैं और दूसरों को भी शक्तिशाली बनाते हैं। बहुतकाल की शक्तिशाली,
निर्विघ्न आत्मा अन्त में भी निर्विघ्न बन पास विद आनर बन जाती है या फर्स्ट डिवीजन
में आ जाती है। तो सदा यही लक्ष्य रहे कि बहुत काल से निर्विघ्न स्थिति का अनुभव
अवश्य करना है।
स्लोगन:-
हर
आत्मा के प्रति सदा उपकार अर्थात् शुभ कामना रखो तो स्वत:दुआयें प्राप्त होंगी।
अव्यक्त इशारे -
अब लगन की अग्नि को प्रज्वलित कर योग को ज्वाला रूप बनाओ
योग माना शान्ति
की शक्ति। यह शान्ति की शक्ति बहुत सहज स्व को और दूसरों को परिवर्तन करती है, इससे
व्यक्ति भी बदल जायेंगे तो प्रकृति भी बदल जायेगी। व्यक्तियों को तो मुख का कोर्स
करा लेते हो लेकिन प्रकृति को बदलने के लिए शान्ति की शक्ति अर्थात् योगबल ही चाहिए।