06-05-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - याद में रहने की मेहनत करो तो पावन बनते जायेंगे, अभी बाप तुम्हें पढ़ा रहे हैं फिर साथ में ले जायेंगे।''

प्रश्नः-
कौन-सा पैगाम तुम्हें सभी को देना है?

उत्तर:-
अब घर चलना है इसलिए पावन बनो। पतित-पावन बाप कहते हैं मुझे याद करो तो पावन बन जायेंगे, यह पैगाम सभी को दो। बाप ने अपना परिचय तुम बच्चों को दिया है, अब तुम्हारा कर्तव्य है बाप का शो करना। कहा भी जाता सन शोज़ फादर।

गीत:-
मरना तेरी गली में ..........

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) कभी किसी बात में मूँझना नहीं है। आपस में रूठकर पढ़ाई नहीं छोड़नी है। दुश्मनी बनाना भी देह अभिमान है। संगदोष से अपनी बहुत-बहुत सम्भाल करनी है। पावन बनना है, अपनी चलन से बाप का शो करना है।

2) प्रीत बुद्धि बन एक बाप की अव्यभिचारी याद में रहना है। तन-मन-धन से बाप के कार्य में मददगार बनना है।

वरदान:-
न्यारे और प्यारे बनने का राज़ जानकर राज़ी रहने वाले राज़युक्त भव

जो बच्चे प्रवृत्ति में रहते न्यारे और प्यारे बनने का राज़ जानते हैं वह सदा स्वयं भी स्वयं से राज़ी रहते हैं, प्रवृत्ति को भी राज़ी रखते हैं। साथ-साथ सच्ची दिल होने के कारण साहेब भी सदैव उन पर राज़ी रहता है। ऐसे राज़ी रहने वाले राजयुक्त बच्चों को अपने प्रति व अन्य किसी के प्रति किसी को क़ाज़ी बनाने की जरूरत नहीं रहती क्योंकि वह अपना फैंसला अपने आप कर लेते हैं इसलिए उन्हें किसी को काज़ी, वकील या जज बनाने की जरूरत ही नहीं।

स्लोगन:-
सेवा से जो दुआयें मिलती हैं - वह दुआयें ही तन्दरूस्ती का आधार हैं।


अव्यक्त इशारे - रूहानी रॉयल्टी और प्युरिटी की पर्सनैलिटी धारण करो

जैसे स्थूल शरीर में विशेष श्वांस चलना आवश्यक है। श्वांस नहीं तो जीवन नहीं, ऐसे ब्राह्मण जीवन का श्वांस है पवित्रता। 21 जन्मों की प्रालब्ध का आधार पवित्रता है। आत्मा और परमात्मा के मिलन का आधार पवित्र बुद्धि है। संगमयुगी प्राप्तियों का आधार और भविष्य में पूज्य-पद पाने का आधार पवित्रता है इसलिए पवित्रता की पर्सनैलिटी को वरदान रूप में धारण करो।