07-05-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - निश्चय ज्ञान योग से बैठता, साक्षात्कार से नहीं। साक्षात्कार की ड्रामा में नूँध है, बाकी उससे किसी का कल्याण नहीं होता''

प्रश्नः-
बाप कौन-सी ताकत नहीं दिखाते लेकिन बाप के पास जादूगरी अवश्य है?

उत्तर:-
मनुष्य समझते हैं भगवान तो ताकतमंद है, वह मरे हुए को भी जिंदा कर सकते हैं, परन्तु बाबा कहते यह ताकत मैं नहीं दिखाता। बाकी कोई नौधा भक्ति करते हैं तो उन्हें साक्षात्कार करा देता हूँ। यह भी ड्रामा में नूँध है। साक्षात्कार कराने की जादूगरी बाप के पास है इसलिए कई बच्चों को घर बैठे भी ब्रह्मा वा श्रीकृष्ण का साक्षात्कार हो जाता है।

गीत:-
कौन आया मेरे मन के द्वारे........

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) इस एक अन्तिम जन्म में बाप के डायरेक्शन पर चल घर गृहस्थ में रहते पवित्र रहना है। इसमें बहादुरी दिखानी है।

2) श्रीमत पर सदा श्रेष्ठ कर्म करने हैं। वाणी से परे जाना है, जो कुछ पढ़ा वा सुना है उसे भूल बाप को याद करना है।

वरदान:-
परिस्थितियों को गुडलक समझ अपने निश्चय के फाउन्डेशन को मजबूत बनाने वाले अचल अडोल भव

कोई भी परिस्थिति आये तो आप हाई जम्प दे दो क्योंकि परिस्थिति आना भी गुड-लक है। यह निश्चय के फाउन्डेशन को मजबूत करने का साधन है। आप जब एक बारी अंगद के समान मजबूत हो जायेंगे तो यह पेपर भी नमस्कार करेंगे। पहले विकराल रूप में आयेंगे और फिर दासी बन जायेंगे। चैलेन्ज करो हम महावीर हैं। जैसे पानी के ऊपर लकीर ठहर नहीं सकती, ऐसे मुझ मास्टर सागर के ऊपर कोई परिस्थिति वार कर नहीं सकती। स्व-स्थिति में रहने से अचल-अडोल बन जायेंगे।

स्लोगन:-
पुराने वर्ष को विदाई देने के साथ-साथ कडुवेपन को भी विदाई दे दो।


अव्यक्त इशारे - रूहानी रॉयल्टी और प्युरिटी की पर्सनैलिटी धारण करो

यदि वरदाता और वरदानी दोनों का सम्बन्ध समीप और स्नेह के आधार से निरन्तर हो और सदा कमबाइन्ड रूप में रहो तो पवित्रता की छत्रछाया स्वत: रहेगी। जहाँ सर्वशक्तिवान बाप है वहाँ अपवित्रता स्वप्न में भी नहीं आ सकती है। जब अकेले होते हो तो पवित्रता का सुहाग चला जाता है।