07-07-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम बहुत
रॉयल स्टूडेन्ट हो, तुम्हें बाप, टीचर और सतगुरू की याद में रहना है, अलौकिक खिदमत
(सेवा) करनी है''
प्रश्नः-
जो अपने आपको
बेहद का पार्टधारी समझकर चलते हैं, उनकी निशानी सुनाओ?
उत्तर:-
उनकी बुद्धि
में कोई भी सूक्ष्म वा स्थूल देहधारी की याद नहीं होगी। वह एक बाप को और शान्तिधाम
घर को याद करते रहेंगे क्योंकि बलिहारी एक की है। जैसे बाप सारी दुनिया की खिदमत
करते हैं, पतितों को पावन बनाते हैं। ऐसे बच्चे भी बाप समान खिदमतगार बन जाते हैं।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सदा ध्यान रहे कि हमारी कोई भी चलन देह-अभिमान वाली न हो। बहुत
सिम्पुल रहना है। किसी भी चीज़ में ममत्व नहीं रखना है। कुसंग से अपनी सम्भाल रखनी
है।
2) याद की मेहनत से सर्व कर्मबन्धनों को तोड़ कर्मातीत बनना है। कम से कम 8 घण्टा
आत्म-अभिमानी रह सच्चा-सच्चा खुदाई खिदमतगार बनना है।
वरदान:-
विशाल बुद्धि
विशाल दिल से अपने पन की अनुभूति कराने वाले मास्टर रचयिता भव
मास्टर रचयिता की पहली रचना
- यह देह है। जो इस देह के मालिकपन में सम्पूर्ण सफलता प्राप्त कर लेते हैं, वे अपने
स्नेह वा सम्पर्क द्वारा सर्व को अपनेपन का अनुभव कराते हैं। उस आत्मा के सम्पर्क
से सुख की, दातापन की, शान्ति, प्रेम, आनंद, सहयोग, हिम्मत, उत्साह, उमंग किसी न
किसी विशेषता की अनुभूति होती है। उन्हें ही कहा जाता है विशालबुद्धि, विशाल दिल
वाले।
स्लोगन:-
उमंग-उत्साह के पंखों द्वारा सदा उड़ती कला की अनुभूति करते चलो।
अव्यक्त इशारे -
संकल्पों की शक्ति जमा कर श्रेष्ठ सेवा के निमित्त बनो
स्वयं को श्रेष्ठ
संकल्पों से सम्पन्न बनाने के लिए ट्रस्टी बनकर रहो, ट्रस्टी बनना अर्थात् डबल लाइट
फरिश्ता बनना। ऐसे बच्चों का हर श्रेष्ठ संकल्प सफल होता है। एक श्रेष्ठ संकल्प
बच्चे का और हजार श्रेष्ठ संकल्प का फल बाप द्वारा प्राप्त हो जाता है। एक का हजार
गुणा मिल जाता है।