08-05-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - देही-अभिमानी बन बाप को याद करो तो याद का बल जमा होगा, याद के बल से तुम सारे विश्व का राज्य ले सकते हो''

प्रश्नः-
कौन-सी बात तुम बच्चों के ख्याल-ख्वाब में भी नहीं थी, जो प्रैक्टिकल हुई है?

उत्तर:-
तुम्हारे ख्याल ख्वाब में भी नहीं था कि हम भगवान से राजयोग सीखकर विश्व के मालिक बनेंगे। राजाई के लिए पढ़ाई पढ़ेंगे। अभी तुम्हें अथाह खुशी है कि सर्वशक्तिमान बाप से बल लेकर हम सतयुगी स्वराज्य अधिकारी बनते हैं।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अपने आपको देखना है हम श्री लक्ष्मी, श्री नारायण समान बन सकते हैं? हमारे में कोई विकार तो नहीं है? फेरी लगाने वाले परवाने हैं या फिदा होने वाले? ऐसे मैनर्स तो नहीं हैं जो बाप की आबरू (इज्जत) जाये।

2) अथाह खुशी में रहने के लिए - सवेरे-सवेरे प्रेम से बाप को याद करना है और पढ़ाई पढ़नी है। भगवान हमें पढ़ा-कर पुरुषोत्तम बना रहे हैं, हम संगमयुगी हैं, इस नशे में रहना है।

वरदान:-
सर्व गुणों के अनुभवों द्वारा बाप को प्रत्यक्ष करने वाले अनुभवी मूर्त भव

जो बाप के गुण गाते हो उन सर्व गुणों के अनुभवी बनो, जैसे बाप आनंद का सागर है तो उसी आनंद के सागर की लहरों में लहराते रहो। जो भी सम्पर्क में आये उसे आनदं, प्रेम, सुख... सब गुणों की अनुभूति कराओ। ऐसे सर्व गुणों के अनुभवी मूर्त बनो तो आप द्वारा बाप की सूरत प्रत्यक्ष हो क्योंकि आप महान आत्मायें ही परम आत्मा को अपनी अनुभवी मूर्त से प्रत्यक्ष कर सकती हो।

स्लोगन:-
कारण को निवारण में परिवर्तन कर अशुभ बात को भी शुभ करके उठाओ।


अव्यक्त इशारे - रूहानी रॉयल्टी और प्युरिटी की पर्सनैलिटी धारण करो

ब्राह्मणों की लाइफ, जीवन का जीय-दान पवित्रता है। आदि-अनादि स्वरुप ही पवित्रता है। जब स्मृति आ गई कि मैं अनादि-आदि पवित्र आत्मा हूँ। स्मृति आना अर्थात् पवित्रता की समर्थी आना। स्मृति स्वरूप, समर्थ स्वरूप आत्मायें निज़ी पवित्र संस्कार वाली हैं। तो निज़ी संस्कारों को इमर्ज कर इस पवित्रता की पर्सनैलिटी को धारण करो।