08-09-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - पुण्य आत्मा
बनने के लिए जितना हो सके अच्छा कर्म करो, आलराउन्डर बनो, दैवीगुण धारण करो''
प्रश्नः-
कौन-सी मेहनत
करने से तुम बच्चे पद्मापद्म पति बनते हो?
उत्तर:-
सबसे बड़ी
मेहनत है क्रिमिनल आई को सिविल आई बनाना। आंखे ही बहुत धोखा देती हैं। आंखों को
सिविल बनाने के लिए बाप ने युक्ति बतलाई है कि बच्चे आत्मिक दृष्टि से देखो। देह को
नही देखो। मैं आत्मा हूँ, यह अभ्यास पक्का करो, इसी मेहनत से तुम जन्म-जन्मान्तर के
लिए पद्मपति बन जायेंगे।
गीत:-
धीरज धर मनुवा........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) पुण्य आत्मा बनने के लिए और सब आशायें छोड़ यह पक्का करना है कि बाबा
जो खिलाओ, जहाँ बिठाओ, कोई भी पाप का काम नहीं करना है।
2) ईश्वरीय लॉटरी प्राप्त करने के लिए रूहानी सर्विस में लग जाना है। ज्ञान की
धारणा कर औरों को करानी है। अच्छी मार्क्स लेने के लिए कोई भी कर्म याद में रहकर
करना है।
वरदान:-
माया और
प्रकृति को दासी बनाने वाले सदा स्नेही भव
जो बच्चे सदा स्नेही हैं
वह लवलीन होने के कारण मेहनत और मुश्किल से सदा बचे रहते हैं। उन्हों के आगे प्रकृति
और माया दोनों अभी से दासी बन जाती अर्थात् सदा स्नेही आत्मा मालिक बन जाती तो
प्रकृति माया की हिम्मत नहीं जो सदा स्नेही का समय वा संकल्प अपने तरफ लगावे। उनका
हर समय, हर संकल्प है ही बाप की याद और सेवा के प्रति। स्नेही आत्माओं की स्थिति का
गायन है एक बाप दूसरा न कोई, बाप ही संसार है। वे संकल्प से भी अधीन नहीं हो सकते।
स्लोगन:-
नॉलेजफुल बनो तो समस्यायें भी मनोरंजन का खेल अनुभव होंगी।
अव्यक्त इशारे -
अब लगन की अग्नि को प्रज्वलित कर योग को ज्वाला रूप बनाओ
इस कलियुगी
तमोप्रधान जड़जड़ीभूत पुराने वृक्ष को भस्म करने के लिए संगठित रूप में फुलफोर्स से
योग ज्वाला प्रज्जवलित करो लेकिन ऐसी ज्वाला स्वरूप की याद तब रहेगी जब याद का लिंक
सदा जुटा रहेगा। अगर बार-बार लिंक टूटता है, तो उसे जोड़ने में समय भी लगता, मेहनत
भी लगती और शक्तिशाली के बजाए कमजोर हो जाते हो।