08-12-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - जब तक जीना
है बाप को याद करना है, याद से ही आयु बढ़ेगी, पढ़ाई का तन्त (सार) ही है याद''
प्रश्नः-
तुम बच्चों का
अतीन्द्रिय सुख गाया हुआ है, क्यों?
उत्तर:-
क्योंकि तुम
सदा ही बाबा की याद में खुशियाँ मनाते हो, अभी तुम्हारी सदा ही क्रिसमस है। तुम्हें
भगवान पढ़ाते हैं, इससे बड़ी खुशी और क्या होगी, यह रोज़ की खुशी है इसलिए तुम्हारा
ही अतीन्द्रिय सुख गाया हुआ है।
गीत:-
नयन हीन को
राह दिखाओ प्रभू......
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) ‘बाप को फालो कर बाबा के समान सर्विसएबुल बनना है। अपने को आपेही
परखना है कि मैं ऊंचे से ऊंचा इम्तहान पास करके ऊंच पद पाने के लायक हूँ?
2) ‘बाबा के डायरेक्शन पर चलकर महावीर बनना है, जैसे बाबा आत्माओं को देखते हैं,
आत्माओं को पढ़ाते हैं, ऐसे आत्मा भाई-भाई को देखकर बात करनी है।
वरदान:-
श्रेष्ठता के
आधार पर समीपता द्वारा कल्प की श्रेष्ठ प्रालब्ध बनाने वाले विशेष पार्टधारी भव
इस मरजीवा जीवन में
श्रेष्ठता का आधार दो बातें हैं-1-सदा परोपकारी रहना। 2-बाल ब्रह्मचारी रहना। जो
बच्चे इन दोनों बातों में आदि से अन्त तक अखण्ड रहे हैं, किसी भी प्रकार की पवित्रता
अर्थात् स्वच्छता बार-बार खण्डित नहीं हुई है तथा विश्व के प्रति और ब्राह्मण
परिवार के प्रति जो सदा उपकारी हैं ऐसे विशेष पार्टधारी बाप-दादा के सदा समीप रहते
हैं और उनकी प्रालब्ध सारे कल्प के लिए श्रेष्ठ बन जाती है।
स्लोगन:-
संकल्प
व्यर्थ हैं तो दूसरे सब खजाने भी व्यर्थ हो जाते हैं।
अव्यक्त इशारे -
अब सम्पन्न वा कर्मातीत बनने की धुन लगाओ
कर्मातीत स्थिति
का अनुभव करने के लिए ज्ञान सुनने सुनाने के साथ अब ब्रह्मा बाप समान न्यारे अशरीरी
बनने के अभ्यास पर विशेष अटेन्शन दो। जैसे ब्रह्मा बाप ने साकार जीवन में कर्मातीत
होने के पहले न्यारे और प्यारे रहने के अभ्यास का प्रत्यक्ष अनुभव कराया। सेवा को
वा कोई कर्म को छोड़ा नहीं लेकिन न्यारे हो लास्ट दिन भी बच्चों की सेवा समाप्त की,
ऐसे फालो फादर करो।