09-06-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम सारे
विश्व पर शान्ति का राज्य स्थापन करने वाले बाप के मददगार हो, अभी तुम्हारे सामने
सुख-शान्ति की दुनिया है''
प्रश्नः-
बाप बच्चों को
किसलिए पढ़ाते हैं, पढ़ाई का सार क्या है?
उत्तर:-
बाप अपने बच्चों
को स्वर्ग का प्रिन्स, विश्व का मालिक बनाने के लिए पढ़ाते हैं, बाप कहते हैं बच्चे
पढ़ाई का सार है दुनिया की सब बातों को छोड़ दो, ऐसे कभी नहीं समझो हमारे पास करोड़
हैं, लाख हैं। कुछ भी हाथ में नहीं आयेगा इसलिए अच्छी रीति पुरुषार्थ करो, पढ़ाई पर
ध्यान दो।
गीत:-
आखिर वह दिन
आया आज........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सवेरे-सवेरे उठ पैदल करते बाप को याद करो, आपस में यही मीठी रूहरिहान
करो कि देखें कौन कितना समय बाबा को याद करता है, फिर अपना अनुभव सुनाओ।
2) बाप को पहचान लिया तो फिर कोई बहाना नहीं देना है, पढ़ाई में लग जाना है,
मुरली कभी मिस नहीं करनी है।
वरदान:-
सर्व के गुण
देखते हुए स्वयं में बाप के गुणों को धारण करने वाले गुणमूर्त भव
संगमयुग पर जो बच्चे गुणों
की माला धारण करते हैं वही विजय माला में आते हैं इसलिए होलीहंस बन सर्व के गुणों
को देखो और एक बाप के गुणों को स्वयं में धारण करो, यह गुणमाला सभी के गले में पड़ी
हुई हो। जो जितने बाप के गुण स्वयं में धारण करते हैं उनके गले में उतनी बड़ी माला
पड़ती है। गुणमाला को सिमरण करने से स्वयं भी गुणमूर्त बन जाते हैं। इसी की यादगार
में देवताओं और शक्तियों के गले में माला दिखाते हैं।
स्लोगन:-
साक्षीपन की स्थिति ही यथार्थ निर्णय का तख्त है।
अव्यक्त इशारे-
आत्मिक स्थिति में रहने का अभ्यास करो, अन्तर्मुखी बनो
अन्तर्मुखी होकर
कार्य करने से विघ्नों से, व्यर्थ संकल्पों से बच जायेंगे और समय भी बहुत बच जायेगा।
जो अन्तर्मुखी रहते हैं उनमें स्मृति की समर्थी भी आती है और आत्मा रूपी नेत्र
पावरफुल बनता जाता है जिससे यदि कोई भी विघ्न आने वाला होगा तो यह महसूसता आयेगी कि
आज कोई पेपर होने वाला है और जितना पहले से मालूम पड़ता जायेगा तो होशियार होने के
कारण सफलता पा लेंगे।