09-08-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - यह
पुरुषोत्तम संगमयुग कल्याणकारी युग है, इसमें ही पढ़ाई से तुम्हें श्रीकृष्णपुरी का
मालिक बनना है''
प्रश्नः-
बाप माताओं पर
ज्ञान का कलष क्यों रखते हैं? कौन सी एक रिवाज़ भारत में ही चलती है?
उत्तर:-
पवित्रता की
राखी बांध सबको पतित से पावन बनाने के लिए बाप माताओं पर ज्ञान का कलष रखते हैं।
रक्षाबन्धन का भी भारत में ही रिवाज़ है। बहन भाई को राखी बांधती है। यह पवित्रता
की निशानी है। बाप कहते हैं बच्चे तुम मामेकम् याद करो तो पावन बन पावन दुनिया के
मालिक बन जायेंगे।
गीत:-
भोलेनाथ से
निराला........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) इस पुरानी दुनिया मे रहते डबल अहिंसक बन योगबल से अपनी नई दुनिया
स्थापन करनी है। अपना जीवन हीरे जैसा बनाना है।
2) बाप जो सुनाते हैं उस पर विचार सागर मंथन कर दूसरों को सुनाना है। सदा नशा रहे
कि यह पढ़ाई पूरी होगी तो हम कृष्णपुरी में जायेंगे।
वरदान:-
अपवित्रता के
नाम निशान को भी समाप्त कर हिज़ होलीनेस का टाइटल प्राप्त करने वाले होलीहंस भव
जैसे हंस कभी भी कंकड़ नहीं
चुगते, रत्न धारण करते हैं। ऐसे होलीहंस किसी के अवगुण अर्थात् कंकड को धारण नहीं
करते। वे व्यर्थ और समर्थ को अलग कर व्यर्थ को छोड़ देते हैं, समर्थ को अपना लेते
हैं। ऐसे होलीहंस ही पवित्र शुद्ध आत्मायें हैं, उनका आहार, व्यवहार सब शुद्ध होता
है। जब अशुद्धि अर्थात् अपवित्रता का नाम निशान भी समाप्त हो जाए तब भविष्य में हिज़
होलीनेस का टाइटल प्राप्त हो इसलिए कभी गलती से भी किसी के अवगुण धारण नहीं करना।
स्लोगन:-
सर्वंश
त्यागी वह है जो पुराने स्वभाव संस्कार के वंश का भी त्याग करता है।
अव्यक्त इशारे -
सहजयोगी बनना है तो परमात्म प्यार के अनुभवी बनो
कोई भी कार्य करते
बाप की याद में लवलीन रहो। किसी भी बात के विस्तार में न जाकर, विस्तार को बिन्दी
लगाए बिन्दी में समा दो, बिन्दी बन जाओ, बिन्दी लगा दो, तो सारा विस्तार, सारी जाल
सेकण्ड में समा जायेगी और समय बच जायेगा, मेहनत से छूट जायेंगे। बिन्दी बन बिन्दी
में लवलीन हो जायेंगे।