09-11-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति 30.11.2007 "बापदादा" मधुबन
सत्यता और पवित्रता
की शक्ति को स्वरूप में लाते बालक और मालिकपन का बैलेन्स रखो
वरदान:-
स्वयं को स्वयं
ही परिवर्तन कर विश्व के आधारमूर्त बनने वाले श्रेष्ठ पद के अधिकारी भव
श्रेष्ठ पद पाने के
लिए बापदादा की यही शिक्षा है कि बच्चे स्वयं को बदलो। स्वयं को बदलने के बजाए,
परिस्थितियों को व अन्य आत्माओं का बदलने का सोचते हो या संकल्प आता है कि यह
सैलवेशन मिले, सहयोग व सहारा मिले तो परिवर्तित हों - ऐसे किसी भी आधार पर परिवर्तन
होने वाले की प्रालब्ध भी आधार पर ही रहेगी क्योंकि जितनों का आधार लेंगे उतना जमा
का खाता शेयर्स में बंट जायेगा। इसलिए सदा लक्ष्य रखो कि स्वयं को परिवर्तन होना
है। मैं स्वयं विश्व का आधारमूर्त हूँ।
स्लोगन:-
संगठन में उमंग-उत्साह और श्रेष्ठ संकल्प से सफलता हुई पड़ी है।
अव्यक्त इशारे -
अशरीरी व विदेही स्थिति का अभ्यास बढ़ाओ
जैसे कोई कमजोर होता
है तो उनको शक्ति भरने के लिए ग्लूकोज़ चढ़ाते हैं, ऐसे जब अपने को शरीर से परे
अशरीरी आत्मा समझते हो तो यह साक्षीपन की अवस्था शक्ति भरने का काम करती है और जितना
समय साक्षी अवस्था की स्थिति रहती है, उतना ही बाप साथी भी याद रहता है अर्थात् साथ
रहता है।