10-05-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - ज्ञान की प्वाइंट्स को स्मृति में रखो तो खुशी रहेगी, तुम अभी स्वर्ग के गेट पर खड़े हो, बाबा मुक्ति-जीवनमुक्ति की राह दिखा रहे हैं''

प्रश्नः-
अपने रजिस्टर को ठीक रखने के लिए कौन-सा अटेन्शन जरूर रखना है?

उत्तर:-
अटेन्शन रहे कि मन्सा-वाचा-कर्मणा किसी को भी दु:ख तो नहीं दिया? अपना स्वभाव बड़ा फर्स्टक्लास, मीठा हो। माया नाक-कान पकड़कर ऐसा कोई कर्तव्य न करा दे जिससे किसी को दु:ख मिले। अगर दु:ख देंगे तो बहुत पश्चाताप् करना पड़ेगा। रजिस्टर खराब हो जायेगा।

गीत:-
नयन हीन को राह दिखाओ.......

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अपनी ऊंची तकदीर बनाने के लिए जितना हो सके - अशरीरी बनने का अभ्यास करना है। शरीर का भान बिल्कुल भूल जाए, किसी का भी नाम-रूप याद न आये - यह मेहनत करनी है।

2) अपनी चलन का चार्ट रखना है - कभी भी आसुरी चलन नहीं चलनी है। दिल की सच्चाई से नष्टोमोहा बन भारत को स्वर्ग बनाने की सर्विस में लग जाना है।

वरदान:-
माया के रॉयल रूप के बन्धनों से मुक्त, विश्व जीत, जगतजीत भव

मेरा पुरुषार्थ, मेरी इन्वेन्शन, मेरी सर्विस, मेरी टचिंग, मेरे गुण अच्छे हैं, मेरी निर्णय शक्ति बहुत अच्छी है, यह मेरा पन ही रॉयल माया का रूप है। माया ऐसा जादू मंत्र कर देती है जो तेरे को भी मेरा बना देती है, इसलिए अब ऐसे अनेक बन्धनों से मुक्त बन एक बाप के सम्बन्ध में आ जाओ तो मायाजीत बन जायेंगे। माया जीत ही प्रकृति जीत, विश्व जीत व जगतजीत बनते हैं। वही एक सेकण्ड के अशरीरी भव के डायरेक्शन को सहज और स्वत: कार्य में लगा सकते हैं।

स्लोगन:-
विश्व परिवर्तक वही है जो किसी के निगेटिव को पॉजिटिव में बदल दे।


अव्यक्त इशारे - रूहानी रॉयल्टी और प्युरिटी की पर्सनैलिटी धारण करो

आपका स्व-स्वरूप पवित्र है, स्वधर्म अर्थात् आत्मा की पहली धारणा पवित्रता है। स्वदेश पवित्र देश है। स्वराज्य पवित्र राज्य है। स्व का यादगार परम पवित्र पूज्य है। कर्मेन्द्रियों का अनादि स्वभाव सुकर्म है, बस यही सदा स्मृति में रखो तो मेहनत और हठ से छूट जायेंगे। पवित्रता वरदान रूप में धारण कर लेंगे।