10-11-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


मीठे बच्चे - “तन-मन-धन अथवा मन्सा-वाचा-कर्मणा ऐसी सर्विस करो जो 21 जन्मों का बाप से एवज़ा मिले परन्तु सर्विस में कभी आपस में अनबनी नहीं होनी चाहिए''

प्रश्नः-
ड्रामा अनुसार बाबा जो सर्विस करा रहे हैं उसमें और तीव्रता लाने की विधि क्या है?

उत्तर:-
आपस में एकमत हो, कभी कोई खिट-खिट न हो। अगर खिट-खिट होगी तो सर्विस क्या करेंगे इसलिए आपस में मिलकर संगठन बनाए राय करो, एक दो के मददगार बनो। बाबा तो मददगार है ही परन्तु “हिम्मते बच्चे मददे बाप....'' इसके अर्थ को यथार्थ समझकर बड़े कार्य में मददगार बनो।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) आपस में बहुत-बहुत प्यारे बनना है लेकिन भाई-बहन से योग नहीं रखना है। कर्मेन्द्रियों से कोई भी विकर्म नहीं करना है

2) एक ईश्वरीय मत पर चलकर सतोप्रधान बनना है। माया की मत छोड़ देनी है। आपस में संगठन मजबूत करना है, एक-दो के मददगार बनना है।

वरदान:-
लक्ष्य के प्रमाण लक्षण के बैलेन्स की कला द्वारा चढ़ती कला का अनुभव करने वाले बाप समान सम्पन्न भव

बच्चों में विश्व कल्याण की कामना भी है तो बाप समान बनने की श्रेष्ठ इच्छा भी है, लेकिन लक्ष्य के प्रमाण जो लक्षण स्वयं को वा सर्व को दिखाई दें उसमें अन्तर है इसलिए बैलेन्स करने की कला अब चढ़ती कला में लाकर इस अन्तर को मिटाओ। संकल्प है लेकिन दृढ़ता सम्पन्न संकल्प हो तो बाप समान सम्पन्न बनने का वरदान प्राप्त हो जायेगा। अभी जो स्वदर्शन और परदर्शन दोनों चक्र घूमते हैं, व्यर्थ बातों के जो त्रिकालदर्शी बन जाते हो - इसका परिवर्तन कर स्वचिंतक स्वदर्शन चक्रधारी बनो।

स्लोगन:-
सेवा का भाग्य प्राप्त होना ही सबसे बड़ा भाग्य है।

अव्यक्त इशारे - अशरीरी व विदेही स्थिति का अभ्यास बढ़ाओ

अभ्यास करो - देह और देह के देश को भूल अशरीरी परमधाम निवासी बन जाओ, फिर परमधाम निवासी से अव्यक्त स्थिति में स्थित हो जाओ, फिर सेवा के प्रति आवाज़ में आओ, सेवा करते हुए भी अपने स्वरूप की स्मृति में रहो, अपनी बुद्धि को जहाँ चाहो वहाँ एक सेकेण्ड से भी कम समय में लगा लो तब पास विद आनर बनेंगे।