11-07-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - पहले-पहले
सबको बाप का सही परिचय देकर गीता का भगवान सिद्ध करो फिर तुम्हारा नाम बाला होगा''
प्रश्नः-
तुम बच्चों ने
चारों युगों में चक्र लगाया है, उसकी रस्म भक्ति में चल रही है, वह कौन-सी?
उत्तर:-
तुमने चारों
युगों में चक्र लगाया वह फिर सब शास्त्रों, चित्रों आदि को गाड़ी में रख चारों ओर
परिक्रमा लगाते हैं। फिर घर में आकर सुला देते हैं। तुम ब्राह्मण, देवता, क्षत्रिय.......
बनते। इस चक्र के बदले उन्होंने परिक्रमा दिलाना शुरू किया है। यह भी रस्म है।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सदा इसी नशे वा खुशी में रहना है कि हमको भगवान पढ़ाते हैं। किसी भी
बात में संशयबुद्धि नहीं होना है। शुद्ध अहंकार रखना है।
2) सूक्ष्मवतन की बातों में ज्यादा इन्ट्रेस्ट नहीं रखना है। आत्मा को सतोप्रधान
बनाने का पूरा-पूरा पुरुषार्थ करना है। आपस में राय कर सबको बाप की सही पहचान देनी
है।
वरदान:-
पास विद आनर
बनने के लिए पुरुषार्थ की गति तीव्र और ब्रेक पावरफुल रखने वाले यथार्थ योगी भव
वर्तमान समय के प्रमाण
पुरुषार्थ की गति तीव्र और ब्रेक पावरफुल चाहिए तब अन्त में पास विद आनर बन सकेंगे
क्योंकि उस समय की परिस्थितियां बुद्धि में अनेक संकल्प लाने वाली होंगी, उस समय सब
संकल्पों से परे एक संकल्प में स्थित होने का अभ्यास चाहिए। जिस समय विस्तार में
बिखरी हुई बुद्धि हो उस समय स्टॉप करने की प्रैक्टिस चाहिए। स्टॉप करना और होना।
जितना समय चाहें उतना समय बुद्धि को एक संकल्प में स्थित कर लें - यही है यथार्थ
योग।
स्लोगन:-
आप
ओबीडियेन्ट सर्वेन्ट हो इसलिए अलमस्त नहीं हो सकते। सर्वेन्ट माना सदा सेवा पर
उपस्थित।
अव्यक्त इशारे -
संकल्पों की शक्ति जमा कर श्रेष्ठ सेवा के निमित्त बनो
जैसे इन्जेक्शन के
द्वारा ब्लड में शक्ति भर देते हैं। ऐसे आपका श्रेष्ठ संकल्प इन्जेक्शन का काम करेगा।
संकल्प द्वारा संकल्प में शक्ति आ जाए - अभी इस सेवा की बहुत आवश्यकता है। स्वयं की
सेफ्टी के लिए भी शुभ और श्रेष्ठ संकल्प की शक्ति और निर्भयता की शक्ति जमा करो तब
ही अन्त सुहाना और बेहद के कार्य में सहयोगी बन बेहद के विश्व के राज्य अधिकारी बन
सकेंगे।