12-11-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम ड्रामा
के खेल को जानते हो इसलिए शुक्रिया मानने की भी बात नहीं है''
प्रश्नः-
सर्विसएबुल
बच्चों में कौन-सी आदत बिल्कुल नहीं होनी चाहिए?
उत्तर:-
मांगने की।
तुम्हें बाप से आशीर्वाद या कृपा आदि मांगने की जरूरत नहीं है। तुम किसी से पैसा भी
नहीं मांग सकते। मांगने से मरना भला। तुम जानते हो ड्रामा अनुसार कल्प पहले
जिन्होंने बीज बोया होगा वह बोयेंगे, जिनको अपना भविष्य पद ऊंच बनाना होगा वह जरूर
सहयोगी बनेंगे। तुम्हारा काम है सर्विस करना। तुम किसी से कुछ मांग नहीं सकते। भक्ति
में मांगना होता, ज्ञान में नहीं।
गीत:-
मुझको सहारा
देने वाले........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) विकर्मों से बचने के लिए इस शरीर में रहते अशरीरी बनने का पुरुषार्थ
करना है। याद की यात्रा ऐसी हो जो शरीर की विस्मृति होती जाए।
2) ज्ञान का मंथन कर आस्तिक बनना है। मुरली कभी भी मिस नहीं करनी है। अपनी उन्नति
के लिए डायरी में याद का चार्ट नोट करना है।
वरदान:-
रूहानी शक्ति
को हर कर्म में यूज़ करने वाले युक्तियुक्त जीवनमुक्त भव
इस ब्राह्मण जीवन की
विशेषता है ही रूहानियत। रुहानियत की शक्ति से ही स्वयं को वा सर्व को परिवर्तन कर
सकते हो। इस शक्ति से अनेक प्रकार के जिस्मानी बन्धनों से मुक्ति मिलती है। लेकिन
युक्तियुक्त बन हर कर्म में लूज़ होने के बजाए, रूहानी शक्ति को यूज़ करो।
मन्सा-वाचा और कर्मणा तीनों में साथ-साथ रूहानियत की शक्ति का अनुभव हो। जो तीनों
में युक्तियुक्त हैं वो ही जीवनमुक्त हैं।
स्लोगन:-
सत्यता
की विशेषता द्वारा खुशी और शक्ति की अनुभूति करते चलो।
अव्यक्त इशारे -
अशरीरी व विदेही स्थिति का अभ्यास बढ़ाओ
जो भी परिस्थितियां
आ रही हैं और आने वाली हैं, उसमें विदेही स्थिति का अभ्यास बहुत चाहिए इसलिए और सभी
बातों को छोड़ यह तो नहीं होगा, यह तो नहीं होगा... क्या होगा.., इस क्वेश्चन को
छोड़ दो, अभी विदेही स्थिति का अभ्यास बढ़ाओ। विदेही बच्चों को कोई भी परिस्थिति वा
कोई भी हलचल प्रभाव नहीं डाल सकती।