13-05-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - अनेक देहधारियों से प्रीत निकाल एक विदेही बाप को याद करो तो तुम्हारे सब अंग शीतल हो जायेंगे''

प्रश्नः-
जो दैवीकुल की आत्मायें हैं, उनकी निशानी क्या होगी?

उत्तर:-
दैवी कुल वाली आत्माओं को इस पुरानी दुनिया से सहज ही वैराग्य होगा। 2- उनकी बुद्धि बेहद में होगी। शिवा-लय में चलने के लिए वह पावन फूल बनने का पुरुषार्थ करेंगे। 3- कोई आसुरी चलन नहीं चलेंगे। 4- अपना पोतामेल रखेंगे कि कोई आसुरी कर्म तो नहीं हुआ? बाप को सच सुनायेंगे। कुछ भी छिपायेंगे नहीं।

गीत:-
न वह हमसे जुदा होंगे...

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप को अपनी पढ़ाई का जलवा दिखलाना है। भारत को स्वर्ग बनाने के धंधे में लग जाना है। पहले अपनी उन्नति का ख्याल करना है। क्षीरखण्ड होकर रहना है।

2) कोई भूल हो तो बाप से क्षमा लेकर स्वयं ही स्वयं को सुधारना है। बाप कृपा नहीं करते, बाप की याद से विकर्म काटने हैं, निंदा कराने वाला कोई कर्म नहीं करना है।

वरदान:-
नॉलेजफुल की विशेषता द्वारा संस्कारों के टक्कर से बचने वाले कमल पुष्प समान न्यारे व साक्षी भव

संस्कार तो अन्त तक किसी के दासी के रहेंगे, किसी के राजा के। संस्कार बदल जाएं यह इन्तजार नहीं करो। लेकिन मेरे ऊपर किसी का प्रभाव न हो, क्योंकि एक तो हर एक के संस्कार भिन्न हैं दूसरा माया का भी रूप बन-कर आते हैं, इसलिए कोई भी बात का फैंसला मर्यादा की लकीर के अन्दर रहकर करो, भिन्न-भिन्न संस्कार होते हुए भी टक्कर न हो इसके लिए नालेजफुल बन कमल पुष्प समान न्यारे व साक्षी रहो।

स्लोगन:-
हठ वा मेहनत करने के बजाए रमणीकता से पुरुषार्थ करो।


अव्यक्त इशारे - रूहानी रॉयल्टी और प्युरिटी की पर्सनैलिटी धारण करो

पवित्रता सुख-शान्ति की जननी है। जहाँ पवित्रता है वहाँ दु:ख अशान्ति आ नहीं सकती। तो चेक करो सदा सुख की शैय्या पर आराम से अर्थात् शान्त स्वरुप में विराजमान रहते हैं? अन्दर क्यों, क्या और कैसे की उलझन होती है या इस उलझन से परे सुख स्वरूप स्थिति रहती है?