13-06-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - इस बेहद के खेल में तुम आत्मा रूपी एक्टर पार्टधारी हो, तुम्हारा निवास स्थान है - स्वीट साइलेन्स होम, जहाँ अब जाना है''

प्रश्नः-
जो ड्रामा के खेल को यथार्थ रीति जानते हैं, उनके मुख से कौन से शब्द नहीं निकल सकते हैं?

उत्तर:-
यह ऐसा नहीं होता था तो ऐसे होता.... यह होना नहीं चाहिए - ऐसे शब्द ड्रामा के खेल को जानने वाले नहीं कहेंगे। तुम बच्चे जानते हो यह ड्रामा का खेल जूँ मिसल फिरता रहता है, जो कुछ होता है सब ड्रामा में नूंध है, कोई फिक्र की बात नहीं है।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप हमें ऐसे नये विश्व की राजाई देते हैं जिसे कोई भी छीन नहीं सकता - इस खुशी में खग्गियाँ मारनी हैं।

2) विजय माला का दाना बनने के लिए जीते जी इस पुरानी दुनिया से मरना है। बाप की याद से विकर्म विनाश करने है।

वरदान:-
अपनी पावरफुल स्टेज द्वारा सर्व की शुभ कामनाओं को पूर्ण करने वाले महादानी भव

पीछे आने वाली आत्मायें थोड़े में ही राज़ी होंगी, क्योंकि उनका पार्ट ही कना-दाना लेने का है। तो ऐसी आत्माओं को उनकी भावना का फल प्राप्त हो, कोई भी वंचित न रहे, इसके लिए अभी से अपने में सर्व शक्तियाँ जमा करो। जब आप अपनी सम्पूर्ण पावरफुल, महादानी स्टेज पर स्थित होंगे तो किसी भी आत्मा को अपने सहयोग से, महादान देने के कर्तव्य के आधार से, शुभ भावना का स्विच आन करते ही नज़र से निहाल कर देंगे।

स्लोगन:-
सदा ईश्वरीय मर्यादाओं पर चलते रहो तो मर्यादा पुरुषोत्तम बन जायेंगे।

अव्यक्त इशारे-आत्मिक स्थिति में रहने का अभ्यास करो, अन्तर्मुखी बनो

जब सेवा की स्टेज पर जाते हो तो यह अनुभव होना चाहिए कि यह आत्मायें बहुत समय के अन्तर्मुखता की, रूहानियत की गुफा से निकलकर सेवा के लिए आई हैं। तपस्वी रूप दिखाई दे। बेहद के वैराग्य की रेखायें सूरत से दिखाई दें। जितना ही अति रूहाब उतना ही अति रहम। ऐसी सर्विस का अभी समय है।