13-11-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - तुमने दु:ख सहन करने में बहुत टाइम वेस्ट किया है, अब दुनिया बदल रही है, तुम बाप को याद करो, सतोप्रधान बनो तो टाइम सफल हो जायेगा''

प्रश्नः-
21 जन्मों के लिए लॉटरी प्राप्त करने का पुरुषार्थ क्या है?

उत्तर:-
21 जन्मों की लॉटरी लेनी है तो मोहजीत बनो। एक बाप पर पूरा-पूरा कुर्बान जाओ। सदा यह स्मृति में रहे कि अब यह पुरानी दुनिया बदल रही है, हम नई दुनिया में जा रहे हैं। इस पुरानी दुनिया को देखते भी नहीं देखना है। सुदामा मिसल चावल मुट्ठी सफल कर सतयुगी बादशाही लेनी है।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अब इस शरीर से कोई भी विकर्म नहीं करना है। ऐसी कोई आसुरी एक्ट न हो जिससे रजिस्टर खराब हो जाए।

2) एक बाप की याद के नशे में रहना है। पावन बनने का मूल पुरुषार्थ जरूर करना है। कौड़ियों पिछाड़ी अपना अमूल्य समय बरबाद न कर श्रीमत से जीवन श्रेष्ठ बनानी है।

वरदान:-
स्वयं को विश्व सेवा प्रति अर्पित कर माया को दासी बनाने वाले सहज सम्पन्न भव

अब अपना समय, सर्व प्राप्तियां, ज्ञान, गुण और शक्तियां विश्व की सेवा अर्थ समर्पित करो। जो संकल्प उठता है चेक करो कि विश्व सेवा प्रति है। ऐसे सेवा प्रति अर्पण होने से स्वयं सहज सम्पन्न हो जायेंगे। सेवा की लगन में छोटे बड़े पेपर्स या परीक्षायें स्वत: समर्पण हो जायेंगी। फिर माया से घबरायेंगे नहीं, सदा विजयी बनने की खुशी में नाचते रहेंगे। माया को अपनी दासी अनुभव करेंगे। स्वयं सेवा में सरेन्डर होंगे तो माया स्वत: सरेन्डर हो जायेगी।

स्लोगन:-
अन्तर्मुखता से मुख को बन्द कर दो तो क्रोध समाप्त हो जायेगा।

अव्यक्त इशारे - अशरीरी व विदेही स्थिति का अभ्यास बढ़ाओ

जैसे एक सेकेण्ड में स्वीच आन और आफ किया जाता है, ऐसे ही एक सेकेण्ड में शरीर का आधार लिया और एक सेकेण्ड में शरीर से परे अशरीरी स्थिति में स्थित हो गये। अभी-अभी शरीर में आये, अभी-अभी अशरीरी बन गये, आवश्यकता हुई तो शरीर रूपी वस्त्र धारण किया, आवश्यकता न हुई तो शरीर से अलग हो गये। यह प्रैक्टिस करनी है, इसी को ही कर्मातीत अवस्था कहा जाता है।