14-11-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - ऊंच ते ऊंच
पद पाना है तो याद की यात्रा में मस्त रहो - यही है रूहानी फाँसी, बुद्धि अपने घर
में लटकी रहे''
प्रश्नः-
जिनकी बुद्धि
में ज्ञान की धारणा नहीं होती है, उनकी निशानी क्या होगी?
उत्तर:-
वह छोटी-छोटी
बातों में रंज (नाराज़) होते रहेंगे। जिसकी बुद्धि में जितना ज्ञान धारण होगा उतनी
उसे खुशी रहेगी। बुद्धि में अगर यह ज्ञान रहे कि अभी दुनिया को नीचे जाना ही है,
इसमें नुकसान ही होना है, तो कभी रंज नहीं होंगे। सदा खुशी रहेगी।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) तुम्हें बुद्धि से सब कुछ भूलना है। जिन बातों में टाइम वेस्ट होता
है, वह सुनने-सुनाने की दरकार नहीं है।
2) पढ़ाई के समय बुद्धियोग एक बाप से लगा रहे, कहाँ भी बुद्धि भटकनी नहीं चाहिए।
निराकार बाप हमें पढ़ा रहे हैं, इस नशे में रहना है।
वरदान:-
अपनी महानता
और महिमा को जानने वाले सर्व आत्माओं में श्रेष्ठ विश्व द्वारा पूज्यनीय भव
हरेक ब्राह्मण बच्चा
वर्तमान समय विश्व की सर्व आत्माओं में श्रेष्ठ है और भविष्य में विश्व द्वारा
पूज्यनीय है। नम्बरवार होते हुए भी लास्ट नम्बर का मणका भी विश्व के आगे महान है।
आज तक भक्त आत्मायें लास्ट नम्बर के मणके को भी आंखों पर रखती हैं क्योंकि सभी बच्चे
बापदादा के नयनों के तारे हैं, नूरे रत्न हैं। जिसने एक बार भी मन से, सच्चे दिल से
अपने को बाप का बच्चा निश्चय किया, डायरेक्ट बाप का बच्चा बना उसे महान वा पूज्यनीय
बनने की लाटरी व वरदान मिल ही जाता है।
स्लोगन:-
स्थिति
सदा खजानों से सम्पन्न और सन्तुष्ट रहे तो परिस्थितियाँ बदल जायेंगी।
अव्यक्त इशारे -
अशरीरी व विदेही स्थिति का अभ्यास बढ़ाओ
बापदादा अचानक
डायरेक्शन दे कि इस शरीर रुपी घर को छोड़, देह-अभिमान की स्थिति को छोड़
देही-अभिमानी बन जाओ, इस दुनिया से परे अपने स्वीटहोम में चले जाओ तो जा सकते हो?
युद्ध स्थल में युद्ध करते-करते समय तो नहीं बिता देंगे! अशरीरी बनने में अगर युद्ध
करने में ही समय लग गया तो अंतिम पेपर में मार्क्स वा डिवीजन कौन-सा आयेगा!