16-05-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - तुम्हारा लव एक बाप से है क्योंकि तुम्हें बेहद का वर्सा मिलता है, तुम प्यार से कहते हो - मेरा बाबा''

प्रश्नः-
किसी भी देहधारी मनुष्य के बोल की भेंट बाप से नहीं की जा सकती है - क्यों?

उत्तर:-
क्योंकि बाप का एक-एक बोल महावाक्य है। जिन महावाक्यों को सुनने वाले महान अर्थात् पुरुषोत्तम बन जाते हैं। बाप के महावाक्य गुल-गुल अर्थात् फूल बना देते हैं। मनुष्य के बोल महावाक्य नहीं, उनसे तो और ही नीचे गिरते आये हैं।

गीत:-
बदल जाए दुनिया......

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अपने आपसे प्रतिज्ञा करनी है कि अभी हम सच्ची कमाई करेंगे। स्वयं को शिवालय में चलने के लायक बनायेंगे। सपूत बच्चा बनकर श्रीमत पर चलकर बाप का नाम बाला करेंगे।

2) रहमदिल बन तमोप्रधान मनुष्यों को सतोप्रधान बनाना है। सबका कल्याण करना है। मौत के पहले सबको बाप की याद दिलानी है।

वरदान:-
हर मनुष्य आत्मा को अपने तीनों कालों का दर्शन कराने वाले दिव्य दर्पण भव

आप बच्चे अब ऐसा दिव्य दर्पण बनो जिस दर्पण द्वारा हर मनुष्य आत्मा अपने तीनों कालों का दर्शन कर सके। उन्हें स्पष्ट दिखाई दे कि क्या था और अभी क्या हूँ, भविष्य में क्या बनना है। जब जानेंगे अर्थात अनुभव करेंगे व देखेंगे कि अनेक जन्मों की प्यास व अनेक जन्मों की आशायें - मुक्ति में जाने की व स्वर्ग में जाने की, अभी पूर्ण होने वाली हैं तो सहज ही बाप से वर्सा लेने के लिए आकर्षित होते हुए आयेंगे।

स्लोगन:-
एक बल, एक भरोसा - इस पाठ को सदा पक्का रखो तो बीच भंवर से सहज निकल जायेंगे।


अव्यक्त इशारे - रूहानी रॉयल्टी और प्युरिटी की पर्सनैलिटी धारण करो

वारिस क्वालिटी प्रत्यक्ष तब होगी जब आप अपनी प्युरिटी की रॉयल्टी में रहेंगे। कहाँ भी हद की आकर्षण में आंख न डूबे। वारिस अर्थात् अधिकारी। तो जो यहाँ सदा अधिकारी स्टेज पर रहते हैं, कभी भी माया के अधीन नहीं होते, अधिकारीपन के शुभ नशे में रहते, ऐसे अधिकारी स्टेज वाले ही वहाँ भी अधिकारी बनते हैं।