16-11-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति 15.12.2007 "बापदादा" मधुबन
समय के महत्व को जान
, कर्मों की गुह्य गति का अटेन्शन रखो , नष्टोमोहा , एवररेडी बनो
वरदान:-
रीयल्टी द्वारा
हर कर्म वा बोल में रायॅल्टी दिखलाने वाले फर्स्ट डिवीजन के अधिकारी भव
रीयल्टी अर्थात् अपने
असली स्वरूप की सदा स्मृति, जिससे स्थूल सूरत में भी रॉयल्टी नज़र आयेगी। रीयल्टी
अर्थात् एक बाप दूसरा न कोई। इस स्मृति से हर कर्म वा बोल में रॉयल्टी दिखाई देगी।
जो भी सम्पर्क में आयेगा उन्हें हर कर्म में बाप समान चरित्र अनुभव होंगे, हर बोल
में बाप के समान अथॉर्टी और प्राप्ति की अनुभूति होगी। उनका संग रीयल होने के कारण
पारस का काम करेगा। ऐसी रीयल्टी वाली रॉयल आत्मायें ही फर्स्ट डिवीजन के अधिकारी
बनती हैं।
स्लोगन:-
श्रेष्ठ कर्मो का खाता बढ़ाओ तो विकर्मो का खाता समाप्त हो जायेगा।
अव्यक्त इशारे -
अशरीरी व विदेही स्थिति का अभ्यास बढ़ाओ
चारों ओर हलचल है,
व्यक्तियों की, प्रकृति की हलचल बढ़नी ही है, ऐसे समय पर सेफ्टी का साधन है सेकण्ड
में अपने को विदेही, अशरीरी वा आत्म-अभिमानी बना लेना। तो बीच-बीच में ट्रायल करो
एक सेकण्ड में मन-बुद्धि को जहाँ चाहे वहाँ स्थित कर सकते हैं! इसको ही साधना कहा
जाता है।
सूचना:- आज मास का
तीसरा रविवार है, सभी राजयोगी तपस्वी भाई-बहनें सायं 6.30 से 7.30 बजे तक, विशेष
योग अभ्यास के समय अपनी शुभ भावनाओं की श्रेष्ठ वृत्ति द्वारा मन्सा महादानी बन सबको
निर्भयता का वरदान देने की सेवा करें।