17-11-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - यह पुरुषोत्तम संगमयुग है, पुरानी दुनिया बदल अब नई बन रही है, तुम्हें अब पुरुषार्थ कर उत्तम देव पद पाना है''

प्रश्नः-
सर्विसएबुल बच्चों की बुद्धि में कौन-सी बात सदैव याद रहती है?

उत्तर:-
उन्हें याद रहता कि धन दिये धन ना खुटे..... इसलिए वह रात-दिन नींद का भी त्याग कर ज्ञान धन का दान करते रहते हैं, थकते नहीं। लेकिन अगर खुद में कोई अवगुण होगा तो सर्विस करने का भी उमंग नहीं आ सकता है।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) घर-घर में जाकर बाप का पैगाम देना है। सर्विस करने का प्रण करो, सर्विस के लिए कोई भी बहाना मत दो।

2) किसी भी बात की फिकरात नहीं करनी है, गुप्त खुशी में रहना है। किसी भी देहधारी को याद नहीं करना है। एक बाप की याद में रहना है।

वरदान:-
कल्याणकारी बाप और समय का हर सेकण्ड लाभ उठाने वाले निश्चयबुद्धि, निश्चितं भव

जो भी दृश्य चल रहा है उसे त्रिकालदर्शी बनकर देखो, हिम्मत और हुल्लास में रह स्वयं भी समर्थ आत्मा बनो और विश्व को भी समर्थ बनाओ। स्वयं के तूफानों में हिलो मत, अचल बनो। जो समय मिला है, साथ मिला है, अनेक प्रकार के खजाने मिल रहे हैं उनसे सम्पत्तिवान और समर्थीवान बनो। सारे कल्प में ऐसे दिन फिर आने वाले नहीं हैं इसलिए अपनी सब चिंतायें बाप को देकर निश्चयबुद्धि बन सदा निश्चितं रहो, कल्याणकारी बाप और समय का हर सेकण्ड लाभ उठाओ।

स्लोगन:-
बाप के संग का रंग लगाओ तो बुराईयां स्वत:समाप्त हो जायेंगी।

अव्यक्त इशारे - अशरीरी व विदेही स्थिति का अभ्यास बढ़ाओ

विदेही बनने की विधि है - बिन्दी बनना। अशरीरी बनते हो, कर्मातीत बनते हो, सबकी विधि बिन्दी है इसलिए बापदादा कहते हैं अमृतवेले बापदादा से मिलन मनाते, रूहरिहान करते जब कार्य में आते हो तो पहले तीन बिन्दियों का तिलक मस्तक पर लगाओ और चेक करो - किसी भी कारण से यह स्मृति का तिलक मिट तो नहीं जाता है? अविनाशी, अमिट तिलक रहे।