20-10-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठेबच्चे - बाबा आये हैं
तुम्हें बहुत रुचि से पढ़ाने, तुम भी रुचि से पढ़ो - नशा रहे हमको पढ़ाने वाला स्वयं
भगवान है''
प्रश्नः-
तुम
ब्रह्माकुमार-कुमारियों का उद्देश्य वा शुद्ध भावना कौनसी है?
उत्तर:-
तुम्हारा
उद्देश्य है - कल्प 5 हज़ार वर्ष पहले की तरह फिर से श्रीमत पर विश्व में सुख और
शान्ति का राज्य स्थापन करना। तुम्हारी शुद्ध भावना है कि श्रीमत पर हम सारे विश्व
की सद्गति करेंगे। तुम नशे से कहते हो हम सबको सद्गति देने वाले हैं। तुम्हें बाप
से पीस प्राइज़ मिलती है। नर्कवासी से स्वर्गवासी बनना ही प्राइज़ लेना है।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) दैवीगुण धारण कर श्रीमत पर भारत की सच्ची सेवा करनी है। अपना, भारत
का और सारे विश्व का कल्याण बहुत-बहुत रुचि से करना है।
2) ड्रामा की अनादि अविनाशी नूँध को यथार्थ समझ कोई भी टाइम वेस्ट करने वाला
पुरुषार्थ नहीं करना है। व्यर्थ ख्यालात भी नहीं चलाने हैं।
वरदान:-
दीपराज बाप
द्वारा अमर ज्योति की बधाई लेने वाले सदा अमर भव
भक्त लोग आप चैतन्य दीपकों
की यादगार जड़ दीपकों की दीपमाला मनाते हैं। आप जगे हुए चैतन्य दीपक, बालक बन दीपकों
के मालिक से मंगल मिलन मनाते हो। बापदादा आप बच्चों के मस्तक में जगा हुआ दीपक देख
रहे हैं। आप अविनाशी, अमर ज्योति स्वरुप बच्चे दीपराज बाप द्वारा बधाईयां लेते सदा
अमरभव का वरदान प्राप्त कर रहे हो। यह दीपराज बाप और दीपरानियों के मिलन का ही
यादगार दीपावली है।
स्लोगन:-
“आप और
बाप''दोनों ऐसा कम्बाइंड रहो जो तीसरा कोई अलग कर न सके।
अव्यक्त इशारे -
स्वयं और सर्व के प्रति मन्सा द्वारा योग की शक्तियों का प्रयोग करो
वर्तमान समय के
प्रमाण सर्व आत्मायें प्रत्यक्षफल अर्थात् प्रैक्टिकल प्रूफ देखने चाहती हैं। तो तन,
मन, कर्म और सम्पर्क-सम्बन्ध में साइलेन्स की शक्ति का प्रयोग करके देखो। शान्ति की
शक्ति से आपका संकल्प वायरलेस से भी तेज किसी भी आत्मा प्रति पहुंच सकता है। इस
शक्ति का विशेष यंत्र है ‘शुभ संकल्प' इस संकल्प के यंत्र द्वारा जो चाहे वह सिद्धि
स्वरूप में देख सकते हो।