22-05-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - तुम इन आंखों से जो कुछ देखते हो यह सब पुरानी दुनिया की सामग्री है, यह समाप्त होनी है, इसलिए इस दु:खधाम को बुद्धि से भूल जाओ''

प्रश्नः-
मनुष्यों ने बाप पर कौन-सा दोष लगाया है लेकिन वह दोष किसी का भी नहीं है?

उत्तर:-
इतना बड़ा जो विनाश होता है, मनुष्य समझते हैं भगवान ही कराता है, दु:ख भी वह देता, सुख भी वह देता। यह बहुत बड़ा दोष लगा दिया है। बाप कहते - बच्चे, मैं सदा सुख दाता हूँ, मैं किसी को दु:ख नहीं दे सकता। अगर मैं विनाश कराऊं तो सारा पाप मेरे पर आ जाए। वह तो सब ड्रामा अनुसार होता है, मैं नहीं कराता हूँ।

गीत:-
रात के राही......

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अपने ऊपर अटेन्शन का पूरा-पूरा पहरा देना है। माया से अपनी सम्भाल करनी है। याद का सच्चा-सच्चा चार्ट रखना है।

2) मात-पिता को फालो कर दिलतख्तनशीन बनना है। दिन-रात सर्विस पर तत्पर रहना है। सबको पैगाम देना है कि बाप को याद करो। 5 विकारों का दान दो तो ग्रहण छूटे।

वरदान:-
सेन्स और इसेन्स के बैलेन्स द्वारा अपनेपन को स्वाहा करने वाले विश्व परिवर्तक भव

सेन्स अर्थात् ज्ञान की प्वाइन्टस, समझ और इसेन्स अर्थात् सर्व शक्ति स्वरूप स्मृति और समर्थ स्वरूप। इन दोनों का बैलेन्स हो तो अपनापन वा पुरानापन स्वाहा हो जायेगा। हर सेकण्ड, हर संकल्प, हर बोल और हर कर्म विश्व परिवर्तन की सेवा प्रति स्वाहा होने से विश्व परिवर्तक स्वत:बन जायेंगे। जो अपनी देह की स्मृति सहित स्वाहा हो जाते हैं उनके श्रेष्ठ वायब्रेशन द्वारा वायुमण्डल का परिवर्तन सहज होता है।

स्लोगन:-
प्राप्तियों को याद करो तो दुख व परेशानी की बातें भूल जायेंगी।


अव्यक्त इशारे - रूहानी रॉयल्टी और प्युरिटी की पर्सनैलिटी धारण करो

श्रेष्ठ कर्मों का फाउन्डेशन है “पवित्रता''। लेकिन पवित्रता सिर्फ ब्रह्मचर्य नहीं। यह भी श्रेष्ठ है लेकिन मन्सा संकल्प में भी अगर कोई आत्मा के प्रति विशेष लगाव वा झुकाव हो गया, किसी आत्मा की विशेषता पर प्रभावित हो गये या उसके प्रति निगेटिव संकल्प चले, ऐसे बोल वा शब्द निकले जो मर्यादापूर्वक नहीं हैं तो उसको भी पवित्रता नहीं कहेंगे।