22-09-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - अपनी दिल पर हाथ रखकर पूछो कि बाबा जो सुनाते हैं क्या हम सब पहले जानते थे, जो सुना है उसे अर्थ सहित समझकर खुशी में रहो''

प्रश्नः-
तुम्हारे इस ब्राह्मण धर्म में सबसे अधिक ताकत है - कौन-सी और कैसे?

उत्तर:-
तुम्हारा यह ब्राह्मण धर्म ऐसा है जो सारे विश्व की सद्गति श्रीमत पर कर देते हैं। ब्राह्मण ही सारे विश्व को शान्त बना देते हैं। तुम ब्राह्मण कुल भूषण देवताओं से भी ऊंच हो, तुम्हें बाप द्वारा यह ताकत मिलती है। तुम ब्राह्मण बाप के मददगार बनते हो, तुम्हें ही सबसे बड़ी प्राइज मिलती है। तुम ब्रह्माण्ड के भी मालिक और विश्व के भी मालिक बनते हो।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अपने को देखना है कि हमारे में कोई अवगुण तो नहीं हैं! जैसे देवतायें मीठे हैं, ऐसा मीठा बना हूँ?

2) बाप की श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ मत पर चल अपनी राजधानी स्थापन करनी है। सर्विसएबुल बनने के लिए सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का, हेविन और हेल का ज्ञान बुद्धि में फिराना है।

वरदान:-
खुदाई खिदमतगार की स्मृति द्वारा सहज याद का अनुभव करने वाले सहजयोगी भव

खुदाई खिदमतगार अर्थात् जो खुदा व बाप ने खिदमत (सेवा) दी है, उसी सेवा में सदा तत्पर रहने वाले। सदा यही नशा रहे कि हमें स्वयं खुदा ने खिदमत दी है। कार्य करते हुए, जिसने कार्य दिया है उसको कभी भूला नहीं जाता। तो कर्मणा सेवा में भी यह स्मृति रहे कि बाप के डायरेक्शन अनुसार कर रहे हैं तो सहज याद का अनुभव करते सहजयोगी बन जायेंगे।

स्लोगन:-
सदा गॉडली स्टूडेन्ट लाइफ की स्मृति रहे तो माया समीप नहीं आ सकती।

अव्यक्त इशारे - अब लगन की अग्नि को प्रज्वलित कर योग को ज्वाला रूप बनाओ

जितना स्थापना के निमित्त बने हुए ज्वाला-रूप होंगे उतना ही विनाश-ज्वाला प्रत्यक्ष होगी। संगठन रूप में ज्वाला-रूप की याद विश्व के विनाश का कार्य सम्पन्न करेगी, इसके लिए हर सेवाकेन्द्र पर विशेष योग के प्रोग्राम चलते रहें तो विनाश ज्वाला को पंखा लगेगा। योग-अग्नि से विनाश की अग्नि जलेगी, ज्वाला से ज्वाला प्रज्जवलित होगी।