22-10-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठेबच्चे - तुम जब किसी
को भी समझाते हो या भाषण करते हो तो बाबा-बाबा कहकर समझाओ, बाप की महिमा करो तब तीर
लगेगा''
प्रश्नः-
बाबा भारतवासी
बच्चों से विशेष कौन से प्रश्नपूछते हैं?
उत्तर:-
तुम भारतवासी
बच्चे जो इतने साहूकार थे, सर्वगुण सम्पन्न 16 कला सम्पूर्ण देवता धर्म के थे, तुम
पवित्र थे, काम कटारी नहीं चलाते थे, बहुत धनवान थे। फिर तुमने इतना देवाला कैसे
निकाला है - कारण का पता है? बच्चे, तुम गुलाम कैसे बन गये? इतना सब धन दौलत कहाँ
गँवा दिया? ख्याल करो तुम पावन से पतित कैसे बन गये? तुम बच्चे भी ऐसी-ऐसी बातें
बाबा-बाबा कह दूसरों को भी समझाओ - तो सहज समझ जायेंगे।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सर्विस में सफलता प्राप्त करने के लिए अहंकार को छोड़ हर बात में बाबा
का नाम लेना है। याद में रहकर सेवा करनी है। झरमुई-झगमुई में अपना टाइम वेस्ट नहीं
करना है।
2) सच्चा-सच्चा वैष्णव बनना है। कोई भी हिंसा नहीं करनी है। देह सहित सभी
सम्बन्धों से बुद्धियोग तोड़ देना है।
वरदान:-
हाँ जी के पाठ
द्वारा सेवाओं में महान बनने वाले सर्व की दुआओं के पात्र भव
कोई भी सेवा खुशी और उमंग
से करते हुए सदा ध्यान रहे कि जो सेवा हो उसमें सर्व की दुआयें प्राप्त हों क्योंकि
जहाँ दुआयें होंगी वहाँ मेहनत नहीं होगी। अभी यही लक्ष्य हो कि जिसके भी सम्पर्क
में आयें उसकी दुआयें लेते जाएं। हाँ जी का पाठ ही दुआयें लेने का साधन है। कोई
रांग भी है तो उसे रांग कहकर धक्का देने के बजाए सहारा देकर खड़ा करो। सहयोगी बनो।
तो उससे भी सन्तुष्टता की दुआयें मिलेंगी। जो दुआयें लेने में महान बनते हैं वे
स्वत:महान बन जाते हैं।
स्लोगन:-
हार्ड
वर्कर के साथ-साथ अपनी स्थिति भी हार्ड (मजबूत) बनाने का लक्ष्य रखो।
अव्यक्त इशारे -
स्वयं और सर्व के प्रति मन्सा द्वारा योग की शक्तियों का प्रयोग करो
योग का प्रयोग
अर्थात् अपने शुद्ध संकल्पों का प्रयोग तन पर, मन पर, संस्कारों पर अनुभव करते आगे
बढ़ते जाओ, इसमें एक दो को नहीं देखो। यह क्या करते, यह नहीं करते, पुराने करते वा
नहीं करते, यह नहीं देखो। पहले मैं इस अनुभव में आगे आ जाऊं क्योंकि यह अपने
आन्तरिक पुरुषार्थ की बात है। जब ऐसे व्यक्तिगत रूप में इसी प्रयोग में लग जायेंगे,
वृद्धि को पाते रहेंगे तक एक एक के शान्ति की शक्ति का संगठित रूप में विश्व के
सामने प्रभाव पड़ेगा।