23-05-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम्हें
खिवैया मिला है इस पार से उस पार ले जाने के लिए, तुम्हारे पैर अब इस पुरानी दुनिया
पर नहीं हैं, तुम्हारा लंगर उठ चुका है''
प्रश्नः-
जादूगर बाप की
वन्डरफुल जादूगरी कौन-सी है जो दूसरा कोई नहीं कर सकता?
उत्तर:-
कौड़ी तुल्य
आत्मा को हीरे तुल्य बना देना, बागवान बनकर काँटों को फूल बना देना - यह बहुत
वन्डरफुल जादूगरी है जो एक जादूगर बाप ही करता है, दूसरा कोई नहीं। मनुष्य पैसा
कमाने के लिए सिर्फ जादूगर कहलाते हैं, लेकिन बाप जैसा जादू नहीं कर सकते हैं।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) जिसे सारी दुनिया
ढूँढ रही है, वह बाबा हमें मिल गया - इसी खुशी में रहना है। याद से ही पाप कटते हैं
इसलिए किसी भी परिस्थिति में बाप और वर्से को याद करना है। एक मिनट भी अपना समय
वेस्ट नहीं करना है।
2) इस पुरानी
दुनिया से बुद्धि का लंगर उठा देना है। बाबा हमारे लिये नया घर बना रहे हैं, यह है
रौरव नर्क, कंस पुरी, हम जाते हैं वैकुण्ठपुरी में। सदा इस स्मृति में रहना है।
वरदान:-
बिहंग मार्ग
की सेवा द्वारा विश्व परिवर्तन के कार्य को सम्पन्न करने वाले सच्चे सेवाधारी भव
बिहंग मार्ग की सेवा करने
के लिए संगठित रूप में “रूप और बसन्त'' इन दो बातों का बैलेन्स चाहिए। जैसे बसन्त
रूप से एक समय पर अनेक आत्माओं को सन्देश देने का कार्य करते हो ऐसे ही रूप अर्थात्
याद बल द्वारा, श्रेष्ठ संकल्प के बल द्वारा बिहंग मार्ग की सर्विस करो। इसकी भी
इन्वेन्शन निकालो। साथ-साथ संगठित रूप में दृढ़ संकल्प से पुराने संस्कार, स्वभाव व
पुरानी चलन के तिल व जौं यज्ञ में स्वाहा करो तब विश्व परिवर्तन का कार्य सम्पन्न
होगा अथवा यज्ञ की समाप्ति होगी।
स्लोगन:-
बालक
और मालिक पन के बैलेन्स से प्लैन को प्रैक्टिकल में लाओ।
अव्यक्त इशारे -
रूहानी रॉयल्टी और प्युरिटी की पर्सनैलिटी धारण करो
इस ईश्वरीय सेवा
में बड़े-से-बड़ा पुण्य है - पवित्रता का दान देना। पवित्र बनना और बनाना ही पुण्य
आत्मा बनना है क्योंकि किसी आत्मा को आत्म-घात महा पाप से छुड़ाते हो। अपवित्रता
आत्म-घात है। पवित्रता जीय-दान है। किसका दु:ख लेकर सुख देना, यही सबसे बड़े ते बड़ा
पुण्य का काम है। ऐसे पुण्य करते-करते पुण्यात्मा बन जायेंगे।