23-09-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - हर बात में योग बल से काम लो, बाप से कुछ भी पूछने की बात नहीं है, तुम ईश्वरीय सन्तान हो इसलिए कोई भी आसुरी काम न करो''

प्रश्नः-
तुम्हारे इस योगबल की करामात क्या है?

उत्तर:-
यही योगबल है जिससे तुम्हारी सब कर्मेन्द्रियाँ वश हो जाती हैं। योग बल के सिवाए तुम पावन बन नहीं सकते। योगबल से ही सारी सृष्टि पावन बनती है इसलिए पावन बनने के लिए वा भोजन को शुद्ध बनाने के लिए याद की यात्रा में रहो। युक्ति से चलो। नम्रता से व्यवहार करो।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) जैसे बाबा बच्चों की सेवा करते हैं, कोई अहंकार नहीं, ऐसे फालो करना है। बाप की श्रीमत पर चलकर विश्व की बादशाही लेनी है, रिफ्यूज़ नहीं करनी है।

2) बापों का बाप, पतियों का पति जो सबसे ऊंच है, बील्वेड है उस पर जीते जी न्योछावर जाना है। ज्ञान-चिता पर बैठना है। कभी भूले चूके भी बाप को भूल उल्टा काम नहीं करना है।

वरदान:-
खुशियों के अखुट खजाने से भरपूर सदा बेफिकर बादशाह भव

खुशियों के सागर द्वारा रोज़ खुशी का अखुट खजाना मिलता है इसलिए किसी भी परिस्थिति में खुशी गायब नहीं हो सकती। किसी भी बात का फिकर हो नहीं सकता। ऐसे नहीं प्रापर्टी का क्या होगा, परिवार का क्या होगा। परिवर्तन ही होगा ना। पुरानी दुनिया में कितना भी श्रेष्ठ हो लेकिन सब पुराना ही है इसलिए बेफिकर बन गये। जो होगा अच्छा होगा। ब्राह्मणों के लिए सब अच्छा है, कुछ भी बुरा नहीं। आपके पास यह ऐसी बादशाही है जिसे कोई भी छीन नहीं सकता।

स्लोगन:-
इस संसार को एक अलौकिक खेल और परिस्थितियों को खिलौना मानकर चलो तो कभी निराश नहीं होंगे।

अव्यक्त इशारे - अब लगन की अग्नि को प्रज्वलित कर योग को ज्वाला रूप बनाओ

लास्ट सो फास्ट पुरुषार्थ ज्वाला-रूप का ही रहा हुआ है। पाण्डवों के कारण यादव रूके हुए हैं। पाण्डवों की श्रेष्ठ शान, रूहानी शान की स्थिति यादवों के परेशानी वाली परिस्थिति को समाप्त करेगी। तो अपनी शान से परेशान आत्माओं को शान्ति और चैन का वरदान दो। ज्वाला स्वरूप अर्थात् लाइट हाउस और माइट हाउस स्थिति को समझते हुए इसी पुरुषार्थ में रहो।