23-10-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठेबच्चे - बाप आये हैं
तुम बच्चों को तैरना सिखलाने, जिससे तुम इस दुनिया से पार हो जाते हो, तुम्हारे लिए
दुनिया ही बदल जाती है''
प्रश्नः-
जो बाप के
मददगार बनते हैं, उन्हें मदद के रिटर्न में क्या प्राप्त होता है?
उत्तर:-
जो बच्चे अभी
बाप के मददगार बनते हैं, उन्हें बाप ऐसा बना देते हैं जो आधाकल्प कोई की मदद लेने
वा राय लेने की दरकार ही नहीं रहती है। कितना बड़ा बाप है, कहते हैं बच्चे तुम मेरे
मददगार नहीं होते तो हम स्वर्ग की स्थापना कैसे करते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप से पूरी-पूरी प्रीत रख मददगार बनना है। माया से हार खाकर कभी नाम
बदनाम नहीं करना है। पुरुषार्थ कर देह सहित जो कुछ दिखाई देता है उसे भूल जाना है।
2) अन्दर में खुशी रहे कि हम अभी शान्तिधाम, सुखधाम जाते हैं। बाबा ओबीडियन्ट
टीचर बन हमको घर ले जाने के लायक बनाते हैं। लायक, सपूत बनना है, कपूत नहीं।
वरदान:-
हर संकल्प,
समय, वृत्ति और कर्म द्वारा सेवा करने वाले निरन्तर सेवाधारी भव
जैसे बाप अति प्यारा लगता
है बाप के बिना जीवन नहीं, ऐसे ही सेवा के बिना जीवन नहीं। निरन्तर योगी के साथ-साथ
निरन्तर सेवाधारी बनो। सोते हुए भी सेवा हो। सोते समय यदि कोई आपको देखे तो आपके
चेहरे से शान्ति, आनंद के वायब्रेशन अनुभव करे। हर कर्मेन्द्रिय द्वारा बाप के याद
की स्मृति दिलाने की सेवा करते रहो। अपनी पावरफुल वृत्ति द्वारा वायब्रेशन फैलाते
रहो, कर्म द्वारा कर्मयोगी भव का वरदान देते रहो, हर कदम में पदमों की कमाई जमा करते
रहो तब कहेंगे निरन्तर सेवाधारी अर्थात् सर्विसएबल।
स्लोगन:-
अपनी
रूहानी पर्सनालिटी को स्मृति में रखो तो मायाजीत बन जायेंगे।
अव्यक्त इशारे -
स्वयं और सर्व के प्रति मन्सा द्वारा योग की शक्तियों का प्रयोग करो
जैसे वाणी की
प्रैक्टिस करते-करते वाणी के शक्तिशाली हो गये हो, ऐसे शान्ति की शक्ति के भी
अभ्यासी बनते जाओ। आगे चल वाणी वा स्थूल साधनों के द्वारा सेवा का समय नहीं मिलेगा।
ऐसे समय पर शान्ति की शक्ति के साधन आवश्यक होंगे क्योंकि जितना जो महान् शक्तिशाली
होता है वह अति सूक्ष्म होता है। तो वाणी से शुद्ध-संकल्प सूक्ष्म हैं इसलिए
सूक्ष्म का प्रभाव शक्तिशाली होगा।