24-10-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठेबच्चे - बाबा आये हैं तुम्हें घर की राह बताने, तुम आत्म-अभिमानी होकर रहो तो यह राह सहज देखने में आयेगी''

प्रश्नः-
संगम पर कौन-सी ऐसी नॉलेज मिली है जिससे सतयुगी देवतायें मोहजीत कहलाये?

उत्तर:-
संगम पर तुम्हें बाप ने अमरकथा सुनाकर अमर आत्मा की नॉलेज दी। ज्ञान मिला - यह अविनाशी बना-बनाया ड्रामा है, हर एक आत्मा अपना-अपना पार्ट बजाती है। वह एक शरीर छोड़ दूसरा लेती है, इसमें रोने की बात नहीं। इसी नॉलेज से सतयुगी देवताओं को मोहजीत कहा जाता। वहाँ मृत्यु का नाम नहीं। खुशी से पुराना शरीर छोड़ नया लेते हैं।

गीत:-
नयन हीन को राह दिखाओ......

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) एक बाप की मत पर चल सदा सन्तुष्ट रह सन्तोषी देवी बनना है। यहाँ कोई भी आश नहीं रखनी है। बाप से सर्व प्राप्तियां कर पद्मपति बनना है।

2) सबसे गंदा बनाने वाला बाइसकोप (सिनेमा) है। तुम्हें बाइसकोप देखने की मना है। तुम बहादुर हो तो हद और बेहद के बाइसकोप का राज़ समझ दूसरों को समझाओ। सर्विस करो।

वरदान:-
पुरुषार्थ और सेवा में विधिपूर्वक वृद्धि को प्राप्त करने वाले तीव्र पुरुषार्थी भव

ब्राह्मण अर्थात् विधिपूर्वक जीवन। कोई भी कार्य सफल तब होता है जब विधि से किया जाता है। अगर किसी भी बात में स्वयं के पुरुषार्थ या सेवा में वृद्धि नहीं होती है तो जरूर कोई विधि की कमी हैइसलिए चेक करो कि अमृतवेले से रात तक मन्सा-वाचा-कर्मणा व सम्पर्क विधिपूर्वक रहा अर्थात् वृद्धि हुई? अगर नहीं तो कारण को सोचकर निवारण करो फिर दिलशिकस्त नहीं होंगे। अगर विधि पूर्वक जीवन है तो वृद्धि अवश्य होगी और तीव्र पुरुषार्थी बन जायेंगे।

स्लोगन:-
स्वच्छता और सत्यता में सम्पन्न बनना ही सच्ची पवित्रता है।

अव्यक्त इशारे - स्वयं और सर्व के प्रति मन्सा द्वारा योग की शक्तियों का प्रयोग करो

जहाँ वाणी द्वारा कोई कार्य सिद्ध नहीं होता है तो कहते हो - यह वाणी से नहीं समझेंगे, शुभ भावना से परिवर्तन होंगे। जहाँ वाणी कार्य को सफल नहीं कर सकती, वहाँ साइलेन्स की शक्ति का साधन शुभ-संकल्प, शुभ-भावना, नयनों की भाषा द्वारा रहम और स्नेह की अनुभूति कार्य सिद्ध कर सकती है।