26-05-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - तुम्हें संग बहुत अच्छा करना है, बुरे संग का रंग लगा तो गिर पड़ेंगे, कुसंग बुद्धि को तुच्छ बना देता है''

प्रश्नः-
अभी तुम बच्चों को कौन सी उछल आनी चाहिए?

उत्तर:-
तुम्हें उछल आनी चाहिए कि गांव-गांव में जाकर सर्विस करें। तुम्हारे पास जो कुछ है, वह सेवा अर्थ है। बाप बच्चों को राय देते हैं - बच्चे, इस पुरानी दुनिया से अपना पल्लव आज़ाद करो। कोई चीज़ में ममत्व नहीं रखो, इनसे दिल नही लगाओ।

गीत:-
इस पाप की दुनिया से......

वरदान:-
त्रिकालदर्शी स्टेज द्वारा व्यर्थ का खाता समाप्त करने वाले सदा सफलतामूर्त भव

त्रिकालदर्शी स्टेज पर स्थित होना अर्थात् हर संकल्प, बोल वा कर्म करने के पहले चेक करना कि यह व्यर्थ है या समर्थ है! व्यर्थ एक सेकण्ड में पदमों का नुकसान करता है, समर्थ एक सेकेण्ड में पदमों की कमाई करता है। सेकण्ड का व्यर्थ भी कमाई में बहुत घाटा डाल देता है जिससे की हुई कमाई भी छिप जाती है इसलिए एक काल दर्शी हो कर्म करने के बजाए त्रिकालदर्शी स्थिति पर स्थित होकर करो तो व्यर्थ समाप्त हो जायेगा और सदा सफलतामूर्त बन जायेंगे।

स्लोगन:-
मान, शान और साधनों का त्याग ही महान त्याग है।


अव्यक्त इशारे - रूहानी रॉयल्टी और प्युरिटी की पर्सनैलिटी धारण करो

जैसे देह और देही दोनों अलग-अलग दो वस्तुएं हैं, लेकिन अज्ञान-वश दोनों को मिला दिया है; मेरे को मैं समझ लिया है और इसी गलती के कारण इतनी परेशानी, दु:ख और अशान्ति प्राप्त की है। ऐसे ही यह अपवित्रता और विस्मृति के संस्कार, जो ब्राह्मणपन के नहीं, शूद्रपन के हैं, इनको भी मेरा समझने से माया के वश हो जाते हो और फिर परेशान होते हो।