27-07-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति 14.03.2006 "बापदादा" मधुबन
“परमात्म मिलन की
अनुभूति के लिए उल्टे मैं पन को जलाने की होली मनाओ, दृष्टि की पिचकारी द्वारा सर्व
आत्माओं को सुख, शान्ति, प्रेम, आनन्द का रंग लगाओ''
वरदान:-
अपने पूर्वज
स्वरूप की स्मृति द्वारा सर्व आत्माओं को शक्तिशाली बनाने वाले आधार, उद्धारमूर्त
भव
इस सृष्टि वृक्ष के
मूल तना, सर्व के पूर्वज आप ब्राह्मण सो देवता हो। हर कर्म का आधार, कुल मर्यादाओं
का आधार, रीति रस्म का आधार आप पूर्वज सर्व आत्माओं के आधार और उद्धारमूर्त हो। आप
तना द्वारा ही सर्व आत्माओं को श्रेष्ठ संकल्पों की शक्ति वा सर्वशक्तियों की
प्राप्ति होती है। आपको सब फालो कर रहे हैं इसलिए इतनी बड़ी जिम्मेवारी समझते हुए
हर संकल्प और कर्म करो क्योंकि आप पूर्वज आत्माओं के आधार पर ही सृष्टि का समय और
स्थिति का आधार है।
स्लोगन:-
जो सर्व शक्तियों रूपी किरणें चारों ओर फैलाते हैं वही मास्टर ज्ञान-सूर्य हैं।
अव्यक्त इशारे -
संकल्पों की शक्ति जमा कर श्रेष्ठ सेवा के निमित्त बनो
तीन शब्दों के कारण
कन्ट्रोलिंग पावर, रुलिंग पावर कम हो जाती है। वह तीन शब्द हैं - 1. व्हाई (why क्यों),
2.(what क्या), 3.(want चाहिए)। यह तीन शब्द खत्म कर सिर्फ एक शब्द बोलो। “वाह'' तो
कन्ट्रोलिंग पावर आ जायेगी, फिर संकल्प शक्ति द्वारा बेहद सेवा के निमित्त बन सकेंगे।